बुधवार, 20 फ़रवरी 2008

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2008

केसरिया बालम पधारो नि म्हारे देश..

बीकानेर का लाडला गायक और टीवी शो सरेगामापा से ख्याति के शिखर पर पहुंचे राजा हसन जनवरी में सिलीगुडी आया.राजा से मिलने मैं होटल गया.लगा इतना बड़ा गायक हो गया है कई तरह के नखरे होंगे.पर राजा होटल में अपने कमरे के बाहर खड़ा था.बडे गरमजोशी से मिल.पूछा कहाँ के रहने वाले है आप.बस इसके बाद तुरंत दोस्ती.शो के बाद दूसरे दिन कुछ बच्चों का राजा से मिलने का प्रोग्राम था.राजा सो रह था.में होटल .गया.राजा से बात कि.राजा तुरंत राजी हो गया.बिना नहाये बाहर आ गया.तुरंत मिला.निचे फर्श पर बच्चों के साथ बैठ गया.उनसे तोतली भासा में बात कि.फोटो खिचवाया.बाद में राजा ने काफी बड़ी बात कही जो मेरे दिल को छु गयी.राजा ने कहा कि बच्चो से मिल कर देश दुनिया भूल जाता .बिना जीवन रंगहीन है.राजा के अनुसार संगीत तो सभी के लिए है .इसके बाद राजा ने राजस्थान का मशहूर गीत केसरिया बालम पधारो नि म्हारे देश गाया.गजब नित्हस है राजा कि आवाज में.आज तक उसका वह गीत गूंजता रहता है.

बुधवार, 6 फ़रवरी 2008

प्रभाष जोशी के साथ...


यादें और भी है...

उत्तर दिनाजपुर के गैसल में काफी बड़ा ट्रेन हादसा हुवा.रात को दो ट्रेन में आमने सामने भिडंत हो गयी.करीब ३५० लोग मरे गए.बहुत बड़ी खबर थी.प्रकाश जी को मैंने फ़ोन पर बताया और मौक़े पर चला गया.वह से स्टोरी फ़ाइल कि.में मौक़े पर गयी पहली प्रेस टीम में था.देश दुनिया के सभी टीवी चॅनल में मेरा इंटर व्यू दिखाया गया.प्रकाश जी ने तुरंत फ़ोन करके बधाई दी .इसके बाद टीवी से मेरा फोटो ले कर भेजा.संपादक का किसी रिपोर्टर को इतना स्नेह मिलना गजब उत्साह देता है.टिक इसी तरह के है प्रकाश जी.हर पल सब कि खबर रखते है.इस तरह के संपादक के साथ काम करने का अलग आनंद है.महानगर के येरली इस्सुए में प्रकाश जी ने खास तोर पर इस घटना का उल्लेख किया.सम्पदाकिये में मेरा उल्लेख करते ही लिखा.इस से ज्यादा एक रिपोर्टर का पा सकता है जब आप का संपादक इतना स्नेह रखता हो और आप के काम को देखता सुनता हो। महानगर में काम करना मेरे जीवन कि सबसे बड़ी उपलब्धि थी.प्रकाश जी से मैंने जनसंपर्क के गुर सीखे.जो आज मेरे काम आ रहे हे.प्रकाश जी के साथ काम करना सबसे बड़ा अनुभव रहा.लोग प्रकाश जी को मेरा मेंटर कहते है.में उन्हें अपना गाइड मानता ह यह सच है.जब कभी कोई फैसला करने में फस जाता ह तो तुरंत प्रकाश जी को फ़ोन करता हूँ.प्रकाश जी के कारन ही में प्रभात खबर में गया.

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2008

कुछ यादें और बातें..

प्रकाश जी के सामने चैंबर में बैठा था.पहली बार मुलाकात.प्रकाश जी बिल्कुल सहज और मुस्कुरा रहे थे.पुरा हलचल पूछा.मैंने कहा महानगर के लिए काम करना है.एक सेकंड में प्रकाश जी ने कहा आपका अख़बार है काम करे.प्रकाश जी में यह खास बात है कि फैसला तुरन्त लेते है.कोई देरी नही.उस समय माला वर्मा कि एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी.प्रकाश जी ने उस पुस्तक कि एक कॉपी दी.इस तरह कोलकता में पत्रकारिता शुरू कि.महानगर कि टीम ने कोलकता में धमाल मचा दिया था.बडे अख़बार भी महानगर कि कॉपी करने लगे थे.टीम में अभिज्ञात,जनार्धन सिंह,अनवर और विद्या सागर सिंह थे.अभी सभी लोग बडे अखबारों में काम कर रहे है.सिलीगुडी से खबरें महानगर में शुरू हुई.कई दिनों थक मेरी स्टोरी लगातार लीड रहेती.हर खबर के बाद प्रकाश जी का फ़ोन जरुर करते थे.हमेशा नयी खबर करने का उत्साह देते थे.प्रकाश जी को टीम चलाना आता था.

सोमवार, 4 फ़रवरी 2008

हमारे प्रकाश भाई..

जनसत्ता का कोलकता से एडिशन शुरू हुवा.श्याम सुन्दर आचार्य इसके संपादक बने.नए तेवर का अख़बार था जनसत्ता .जल्दी ही जनसत्ता पूरे बंगाल कि पहली पसंद बन गया.इस पर हर रविवार सबरंग भी जनसत्ता के साथ फ्री आता था.सिलीगुडी में जनसत्ता शाम को मिलता था.उस समय भी इसकी काफी डिमांड रहेती थी.जनसत्ता में किसी कि खबर प्रकाशित हो जाना बड़ी बात थी.प्रकाश चंदालिया कि तो हर दूसरे दिन नाम से स्टोरी आती थी.हम उस समय पढाई कर रहे थे.अख़बार में किसी रिपोर्टर का नाम आता तो बहुत आनंद आता.उस समय न्यूज़ के कारन प्रकाश जी को जाना.अटल बिहारी वाजपेयी उस समय कोलकता आये थे.मुझे वह खबर आज भी याद है कि प्रकाश जी इंटर व्यू के लिए गए अटल जी ने बात नही कि पर प्रकाश जी से कहा फोटो ले लो.प्रकाश जी कि फर्स्ट पेज कि स्टोरी बनी कि अटल केसे तनाव में थे और क्या कर रहे थे.सायद ५०० वर्ड कि स्टोरी थी.पढ़ कर आनंद हुवा कि खबर कैसे बनाईं जाती है.इसी खबर से उस समय काफी सिखने का अवसर मिला.प्रकाश जी के यह खबर मेरे लिए हमेशा माप दंड रही है.प्रकाश जी को पहली बार सिलीगुडी में देखा जब वह जनसत्ता के लिए तीन बीघा को ले कर चल रहे आंदोलन को कवर करने आये थे.पहली बार हाथ मिलाया.सयाद प्रकाश जी को यह बात याद नही है.गजब लगा के इतना बडे रिपोर्टर से मिला.उस समय उनके साथ पंचंज्य के अशोक श्रीवास्तव भी थे.इसके बाद जब भी जनसत्ता में उनकी स्टोरी पढता तो खुद में महसूस करता कि इतने बडे रिपोर्टर से मिला हूँ.जनसत्ता के उस समय गजब कि धूम थी.सिलीगुडी में प्रभकर मणि तिवारी जनसत्ता के रिपोर्टर थे.प्रकाश जी ने कुछ साल बाद जनसत्ता को टाटा कर दिया.कोलकता गया तो पता चला कि महानगर नमक शाम के अख़बार ने काफी धूम मचा रखी है.बड़ा बाजार के एक बुक स्टाल से अख़बार ख़रीदा .पढा। संपादक थे प्रकाश चंदालिया.ऑफिस थी ३ ओल्ड कोर्ट हौस स्ट्रीट.प्रकाश जी मिलने कि इच्छा तो थी.एक सुबह चला गया उनके ऑफिस.ऑफिस काफी बड़ा था.एक बुक स्टोर में महानगर का ऑफिस था.ऑफिस जा कर कहा कि प्रकाश जी से मिलना है.कुछ देर बाद चैंबर में था.पहली बार उन से मिल रह था.बहुत टेंशन में था.