बुधवार, 6 फ़रवरी 2008

यादें और भी है...

उत्तर दिनाजपुर के गैसल में काफी बड़ा ट्रेन हादसा हुवा.रात को दो ट्रेन में आमने सामने भिडंत हो गयी.करीब ३५० लोग मरे गए.बहुत बड़ी खबर थी.प्रकाश जी को मैंने फ़ोन पर बताया और मौक़े पर चला गया.वह से स्टोरी फ़ाइल कि.में मौक़े पर गयी पहली प्रेस टीम में था.देश दुनिया के सभी टीवी चॅनल में मेरा इंटर व्यू दिखाया गया.प्रकाश जी ने तुरंत फ़ोन करके बधाई दी .इसके बाद टीवी से मेरा फोटो ले कर भेजा.संपादक का किसी रिपोर्टर को इतना स्नेह मिलना गजब उत्साह देता है.टिक इसी तरह के है प्रकाश जी.हर पल सब कि खबर रखते है.इस तरह के संपादक के साथ काम करने का अलग आनंद है.महानगर के येरली इस्सुए में प्रकाश जी ने खास तोर पर इस घटना का उल्लेख किया.सम्पदाकिये में मेरा उल्लेख करते ही लिखा.इस से ज्यादा एक रिपोर्टर का पा सकता है जब आप का संपादक इतना स्नेह रखता हो और आप के काम को देखता सुनता हो। महानगर में काम करना मेरे जीवन कि सबसे बड़ी उपलब्धि थी.प्रकाश जी से मैंने जनसंपर्क के गुर सीखे.जो आज मेरे काम आ रहे हे.प्रकाश जी के साथ काम करना सबसे बड़ा अनुभव रहा.लोग प्रकाश जी को मेरा मेंटर कहते है.में उन्हें अपना गाइड मानता ह यह सच है.जब कभी कोई फैसला करने में फस जाता ह तो तुरंत प्रकाश जी को फ़ोन करता हूँ.प्रकाश जी के कारन ही में प्रभात खबर में गया.

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