मंगलवार, 29 जनवरी 2008

टिंकू है ना..

सिलीगुडी में ख़बरों कि भरमार रहती है.उस पर रोज कि प्रेस ब्रीफिंग और प्रोग्राम.सिलीगुडी से खबरों जर्नलिस्ट्स को लगतातर बाहर जाना पड़ता है.कभी नेपाल,तो कभी भूटान,बिहार और असम तक.उस पर उत्तर बंगाल में किसी भी जिले में बड़ी खबर होने पर जाना पड़ता है.ज्यादातर अख़बारों में सिर्फ एक फोटो ग्रफार होता है.उस पर डेली कि ख़बरों के अलावा ऑफ़ बीट फोटो कि जिमेवारी रहती है.इसी तरह कि जिमेवारी को बखूबी निभा रहा है टिंकू सभरवाल.मूल रूप से टिंकू उत्तर प्रदेश के झाँसी का रहने वाला है.पढ़ने में मन नही लगा तो अपनी बहन के पास सिलीगुडी आ गया.सिलीगुडी में मन लग गया.टिंकू के जीजाजी प्रेम अरोरा का सिलीगुडी के हिल्ल्कार्ट रोड में फोटो स्टूडियो है.टिंकू ने इसी स्टूडियो में काम सिखा.प्रेम भैया का यह स्टूडियो सभी पत्रकारों का कैंप है.शहर का हर छोटा बड़ा पत्रकार दिन में एक बार इस स्टूडियो में आता है.इसी स्टूडियो में टिंकू ने काम करना शुरू किया.पत्रकारों के सम्पर्क में आया.किसी ने उसे एक नेपाली अख़बार में लगवा दिया.इसके बाद टिंकू ने कभी पीछे नही देखा.काम करने में गजब कि लगन.और सबसे बड़ी बात बदिया सम्पर्क .इसका सीधा फायदा होता था कि कोई भी फोटो मिस नही होती है.प्रभात खबर में टिंकू ने काम शुरू किया। उस समय हमलोग सभी कहते थे कि टिंकू का जुगाड़ गजब है। बस कहो कि तस्वीर हाजिर.टिंकू को सभी लोग काफी मानते भी है.उमर में छोटा होने के बाबजूद टिंकू से सभी सीनियर लोग भी स्नेह करते है.इसका बड़ा कारन उसका हर किसी को मदद करने कि परवर्ती.प्रभात खबर में उसकी तस्वीरों को लाकर पूरे शहर में चर्चा होती थी.फोटो हो जरुर मिलेगी क्यूंकि टिंकू है ना..

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